ममता शर्मा 'अंचल' - अलवर (राजस्थान)
दर्द पलकों में छुपा लेते हैं - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
सोमवार, दिसंबर 20, 2021
अरकान : फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122 1122 22
दर्द पलकों में छुपा लेते हैं,
आग सीने में दबा लेते हैं।
जिस्म ढकने को भले हों चिथड़े,
आबरू अपनी बचा लेते हैं।
भूख मिटती है कभी फाँकों से,
प्यास अश्कों से बुझा लेते हैं।
नहीं ख़ैरात से कोई रिश्ता,
सिर्फ़ मालिक की दुआ लेते है।
सर्द रातों में ठिठुरता तन जब,
रात को दिन-सा बिता लेते हैं।
कर्मवाले ये अनूठे इंसाँ,
पत्थरों को भी जगा लेते हैं।
कोई तो बात है 'अंचल' उनमें,
ख़ूब जीने का मज़ा लेते हैं।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर