अतुल पाठक 'धैर्य' - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)
मन - कविता - अतुल पाठक 'धैर्य'
सोमवार, फ़रवरी 28, 2022
गूँगे मन ने आज पुकारा है तुमको,
मन जीतने के लिए हारा है ख़ुद को।
मन कविता करता मर्मस्पर्शी,
मन भाव निकलते जादुईस्पर्शी।
मन की कल्पना दिल दहला देती,
भावविभोर होकर रुला देती।
मन जैसे हो मानो दर्पण,
हीरे सा चमकता उसका चित्रण।
मन की अपनी भोली सी दुनिया में,
इक मनका मन में रहता है।
पंख लगाकर वो उड़ता,
ख़्वाबों की झालर बुनता है।
कभी ख़्वाहिशें मुरझा जाती,
पर कभी तो मनसुमन खिलता है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर