महेंद्र सिंह कटारिया 'विजेता' - गुहाला, सीकर (राजस्थान)
ऋतु बसंत आई - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता'
शनिवार, फ़रवरी 05, 2022
छाई चहुँओर ख़ुशहाली,
देखों ऋतु बसंत आई।
भौंरों ने नव धुन गुनगुनाई,
बाग-बगिचों में फैली हरियाली।
प्रकृति का मनमोहक नज़ारा,
हर प्राणी को उत्तम भाया।
कलियों पर तितली मँडराती,
मधुप स्वादु शहद बनाती।
हर तरफ़ ख़ुशबू भरा रोमांच,
छाए बादल नीले आसमाँ।
कोकिला ने सुरीली कूक लगाई,
अमिया पर देखों मंजरी आई।
चाँद की शीतल चाँदनी,
गोरैया की शांत आवाज़।
सरोवरों में खिल कमल,
किया जीवनानंद आग़ाज़।
कल कल करती नदियाँ बहती,
मन मष्तिष्क में सुगढ़ता गढ़ती।
सरसो के पीले-पीले फूल खिले,
खग वृंद नभ कलरव कर मिले।
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