महेन्द्र 'अटकलपच्चू' - ललितपुर (उत्तर प्रदेश)
आम आदमी - कविता - महेन्द्र 'अटकलपच्चू'
शुक्रवार, मार्च 11, 2022
जिसका पेट भरा हो, उसको क्या फ़र्क़ पड़ताज़
आम आदमी ही, ग़रीबी में मरता।
खा जाते है मोटी तोंद वाले, हक़ हमारा,
बची खुची से पेट पालता, मरता क्या न करता।।
शब्दों से नहीं भरता, खाली पेट किसी का,
जिसकी लाठी उसकी भैंस, थाली प्लेट उसी का।
रह जाते भूखे फिर भी, खाकर गस्सा मेरा,
बची खुची से पेट पालता, मरता क्या न करता।।
करो न पीड़ित उसको, आम नहीं अब वो ख़ास है,
बढ़ जाएगा आगे एक दिन, सबको विश्वास है।
जान लिया पहचान लिया, उसने अपने हक़ को,
बची खुची से पेट पालता, अब न किसी से हारता।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर