रमाकान्त सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)
रंगोत्सव होली - कविता - रमाकांत सोनी
शुक्रवार, मार्च 18, 2022
जोश जुनून उमंग जगाता, तन मन को हर्षाता।
रंगों का त्योहार होली, सद्भाव प्रेमरस बरसाता।
गाल गुलाबी दमकते, गोरी के गुलाल लगाकर।
पीला रंग प्रेम झलकाता, घर में ख़ुशियाँ लाकर।
स्वाभिमान शौर्यता लाता, रक्तवर्ण महावीरों में।
तलवारों का जोश उमड़ता, जोशीले रणधीरों में।
सुखद अनुभूति अंतर्मन, धीरज विश्वास बढ़ाता है।
नीलवर्ण व्योम व्यापकता, सिंधु थाह बताता है।
ज्ञान और गरिमा संतुलित, जीवन का मूलमंत्र।
रंग बैंगनी आस्था श्रद्धा, विश्वास का मानो मंत्र।
हरा रंग हरियाली ले हमें, तरोताज़ा कर देता।
कुदरत संग जुड़े रहने का, सबको संदेशा देता।
त्याग और बलिदान से, केसरिया ध्वज लहराता।
वीरों रणवीरों में वीरता, शौर्य पराक्रम भर जाता।
श्वेत शांति सदाचरण, पावनता का प्रतीक हमारा।
सत्य सादगी प्रेम भरकर, दमकता भाग्य सितारा।
रहस्यमई शक्तिशाली जो, अँधकार का राजा है।
काला रंग बुराई के दम पे, बजाता निज बाजा है।
इंद्रधनुष के सात रंग मिल, सतरंगी बन जाते।
जीवन में अनुराग भरकर, आनंदित कर जाते।
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