रमेश चन्द्र वाजपेयी - करैरा, शिवपुरी (मध्य प्रदेश)
अब आया समझ में - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
गुरुवार, मई 12, 2022
अब आया समझ में कि
कवि कैसे बन जाते हैं,
मन की पीड़ा हृदय तक जब हिलोर लेती है
तब कवि बन जाते है।
तुम ही तो हो समाज के
असल पथ प्रदर्शक
तुम भूले भटकों के
हो मार्गदर्शक।
आप ही तो अंतर्मन की पीडा़ओं को
उकेर पाते हैं,
अब आया समझ में
कि कवि कैसे बन जाते हैं।
जब त्यौहारों में
तो तुम्हारी लिखी फाग
और टेसू के गीत
मन को रिझाते हैं,
जब टोलियों में लोग
तुम्हारे लिखे विरहा के लिखे
गीत गाते हैं,
या हो सुहागन
या हो विधवा
विरहा के गीत
अनायास ही मन को भाते हैं।
अब आया समझ में
कि कवि कैसे बन जाते हैं।
जब आती है
जज़्बातों की बात
तब तुम कवि
तुलसी कहलाते हो,
तुम ही कुरूतियो को छोड़
प्रगतिशील धारा बहाते हो।
और बच्चों की
नटखट बातें
दिल में उतार
तुम ही सूर बन जाते हो,
अब आया समझ में
की तुम कवि कैसे बन जाते हो।
कवि तुम्हारी क़लम
संस्कार का पाठ पढ़ा
लोगों को चरित्रवान बनाते हो,
और कवि तुम ही राम का आदर्श
भरत सा भ्रात प्रेम
और हनुमान से
वीर का पाठ पढ़ाते हो।
कवि तुम्हारी क़लम
जो लिखती हैं
और राम के आदर्श में ढल जाते हो,
अब आया समझ में
कि कवि तुम कैसे बन जाते हो।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर