शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)
जीने की परिभाषा सीखो - गीत - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
रविवार, जुलाई 10, 2022
यदि परिवार चलाना हो तो,
जीने की परिभाषा सीखो।
थोड़े दिन का यह जीवन है,
आना जाना लगा हुआ है।
नश्वरता बैठी अग-जग में,
यह क्रम अविरल बना हुआ है।
मूठी बाँधे हम आए हैं,
जाने में कर खुला हुआ है।
क्षणिक जीवनी बता रही है,
सहिष्णुता की भाषा सीखो।
मृदु भाषा से हृदय जीत लो,
विजय इसी में कब जानोगे?
अक्षर सदा अमर होते हैं,
महामंत्र यह कब मानोगे?
जब कोई दुःख सना हुआ हो,
निज कर क्षत्रप कब तानोगे?
परहित परपीड़ित में आशा,
भरने की प्रत्याशा सीखो।
गौतम बुद्ध कहानी जानो,
गांधी का इतिहास उठाओ।
पिया गरल सुकरात धरा में,
महावीर की बात सुनाओ।
राम लक्ष्मण भरत शत्रुघन,
भ्राताओं की कथा बताओ।
जगती याद करे कुछ ऐसा,
यह मन में अभिलाषा सीखो।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर