उमेश यादव - हरिद्वार (उत्तराखंड)
नशे की मार - गीत - उमेश यादव
सोमवार, जुलाई 18, 2022
समाज रो रहा है, परिवार रो रहा है।
नशे के भार को ये, संसार ढो रहा है॥
ये क्या हो रहा है देखो, क्या हो रहा है।
नशे की मार से ये, संसार रो रहा है॥
सहारे से चलता, वो सहारा था सबका।
उपेक्षित है सबसे, जो प्यारा था सबका॥
नशे से ही घर औ’ परिवार खो रहा है।
नशे की मार से ये, संसार रो रहा है॥
नई ज़िंदगानी, दुर्व्यसन कर रही है।
तरुणों की जवानी, नशे से मर रही है॥
व्यसनी न बनो, अन्धकार हो रहा है।
नशे के भार को ये, संसार ढो रहा है॥
रिश्ते नाते कुटुम्बी, तुमसे दूर जा रहे हैं।
ईमान धर्म नीति, ना निभ पा रहे हैं॥
नसें, विष नशा से, बेकार हो रहा है।
नशे की मार से ये, संसार रो रहा है॥
समय आ गया है, दुर्व्यसन को भगाओ।
नशा मुक्त जग हो, ये करके दिखाओ॥
हँसाना है, जिसको ये दर्द हो रहा है।
नशे की मार से ये, संसार रो रहा है॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर