संजय राजभर 'समित' - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
ले चल रे! कहरवा पिया के नगरी - अवधी गीत - संजय राजभर 'समित'
गुरुवार, अगस्त 04, 2022
कइसे चली डगरिया भर के गगरी।
ले चल रे! कहरवा पिया के नगरी।।
ओकरा से मोर शरधा बा लागल।
दुनिया में लहँगा कई बार फाटल।।
अबकी बार फटी त पिया के बखरी।
ले चल रे! कहरवा पिया के नगरी।।
चार दिन के चाँदनी हवे बजरिया।
फिर नाही लवके कऊनो डहरिया।।
नथिया मोर अबकी वहीं जे उतरी।
ले चल रे! कहरवा पिया के नगरी।।
जप तप ज्ञान यज्ञ हवे मोर गहना।
प्रेमवा के रस में मातल जोबना।।
पिया के सेजिया पे रस-रस निथरी।
ले चल रे! कहरवा पिया के नगरी।।
करिके सिंगार ख़ूब करबय निहोरा।
दिन रात रहबय 'समित' जी के कोरा।।
अबकी नइया मोर भव पार उतरी।
ले चल रे! कहरवा पिया के नगरी।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर