सुशील कुमार - फतेहपुर, बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)
तन-मन देख प्रतीक्षा हारे - गीत - सुशील कुमार
बुधवार, अगस्त 24, 2022
नैन थके हैं थकी दिशाएँ, तन मन देख प्रतीक्षा हारे,
सतिए थके थकी रंगोली, कब आओगे द्वार हमारे।
नींद बेचकर रात ख़रीदी,
रातें ले गईं याद तुम्हारी।
सपने बेचे प्यार ख़रीदा,
फिर भी अब तक रहे दुखारी।
चैन बिका तन्हाई पाए, तन्हा में हम तुम्हें पुकारे,
नैन थके हैं थकी दिशाएँ, तन-मन देख प्रतीक्षा हारे।
जीवन बेंच के चाँद ख़रीदा,
रातें फिर भी रही अमावस।
अधर टेर कर रेत हो गए,
आँखों में संचित है पावस।
शब्द-शब्द अब बेच रहा हूँ, शब्द बने हैं आज सहारे,
नैन थके हैं थकी दिशाएँ, तन-मन देख प्रतीक्षा हारे।
एक छोर पर सपने मेरे,
एक छोर पर नैन चकोरी।
अनुबंधों की पतवार किसे दूँ,
सागर करता आँख मिचौली।
बीच भँवर में जीवन नैया, और बहुत है दूर किनारे,
नैन थके हैं थकी दिशाएँ, तन-मन देख प्रतीक्षा हारे।
तन का मिलन भले ही न हो,
मन का मिलन बनाए रखना।
दिल की उपवन में तुम प्रियवर,
पुष्प स्नेह खिलाए रखना।
शायद विधि ने लिखा नहीं है, प्यार तुम्हारा भाग्य हमारे,
नैन थके हैं थकी दिशाएँ, तन-मन देख प्रतीक्षा हारे।
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