मेघना वीरवाल - आकोला, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)
धरा का गीत - कविता - मेघना वीरवाल
शनिवार, अगस्त 27, 2022
बसा है धरती के कण कण में
प्रेम दया और स्वाभिमान,
कहने को महज़ शब्द ही
यहाँ मिलेंगे अतरंगी विधि विधान।
नित नया भाव जगाती
करके सूरज का गुणगान,
चहक उठते मनचले भी
देख यहाँ के खेत खलिहान।
वीर सपूतों की धरती है
माटी के हर कण में रचा है ख़ून,
कई शूरवीरों का समर्पण इसमें
इतिहास रच गए होकर बलिदान।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर