नागेंद्र नाथ गुप्ता - ठाणे, मुंबई (महाराष्ट्र)
अपनापन अपना गुम हो जाना ठीक नहीं - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
शनिवार, सितंबर 03, 2022
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
तक़ती : 22 22 22 22 22 22
अपनापन अपना गुम हो जाना ठीक नहीं,
बेमतलब हरदम पाँव फँसाना ठीक नहीं।
ठीक नहीं आधे मन से रो-रो कर जीना,
मरने से पहले यूँ मर जाना ठीक नहीं।
होते हैं दुनिया के सच्चे-झूठें क़िस्से,
छोटी बातों में रोना-गाना ठीक नहीं।
बेमतलब दुनिया की चिंता करना छोड़ो,
अपनी ख़ुशियों पर ख़ुद इतराना ठीक नहीं।
करके तिरछे नैन, हमारी नींद चुराई,
वादे कर के यूँ दिल बहलाना ठीक नहीं।
अपनापन मिलता है, अपनापन देने से,
सूखे फूलों को हाँ, महकाना ठीक नहीं।
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