सुशील कुमार - फतेहपुर, बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)
क्या माँग भरने का मुझे अधिकार दोगी? - गीत - सुशील कुमार
गुरुवार, सितंबर 15, 2022
उम्र भर ख़िदमत करूँगा सिर्फ़ यह विश्वास दो तुम,
क्या अमर शौभाग्य बनने का मुझे अधिकार दोगी?
कह रही हो तुझपे मेरा पूर्ण है अधिकार प्रियवर,
तो कहो क्या माँग भरने का मुझे अधिकार दोगी?
ख़्वाब सारे, चैन सारा, उम्र भर की नींद सारी,
हमने तुमको सौप दी है ज़िंदगी अपनी ये प्यारी।
सूल सारे चुन के पथ में फूल की रोपी लताएँ,
अब कहो क्या साथ चलने का मुझे अधिकार दोगी?
नम हुए लोचन ये संग में और संग में खिलखिलाए,
साथ में खेले है खाए, और बचपन संग बिताए।
किन्तु क्या यौवन भरे मधुमास की अँगड़ाइयों में,
साथ जीने साथ मरने का मुझे अधिकार दोगी?
कह रही हो तुझपे मेरा पूर्ण है अधिकार प्रियवर,
तो कहो क्या माँग भरने का मुझे अधिकार दोगी?
स्वप्न का आकाश छू मानव नया संसार गढ़ता,
प्रीत की है रीति जग में अंततः अपयश ही ढोता।
उम्र की कलियाँ सभी जब सूख कर पतझार होंगी,
तब कहो क्या साथ रहने का मुझे अधिकार दोगी?
कह रही हो तुझपे मेरा पूर्ण है अधिकार प्रियवर,
तो कहो क्या माँग भरने का मुझे अधिकार दोगी?
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