अपने-आप बनती है कविता - कविता - सुनील शर्मा 'सारथी'

दिल की गहराईयों से निकली 
भावनाओं की अभिव्यक्ति है कविता,
अमीर की अमीरी और 
ग़रीब की भूख से बनती है कविता।

कहीं प्रेम का तुफ़ान तो कहीं 
परिस्थितियों का बयान करती है कविता,
प्रकृति के शृंगार और प्रकोप के साथ
जीवन का दर्शन कराती है कविता।

कहीं प्रेमियों के बेशुमार प्यार का वर्णन
तो कहीं दिलजलों की आहो का बखान,
कही ख़ुशनुमा रंग बिखेरती है, तो कहीं
टूटे दिलों का मरहम बनती है कविता।

सुनील शर्मा 'सारथी' - जालना (महाराष्ट्र)

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