राजेन्द्र कुमार मंडल - सुपौल (बिहार)
जय दिनकर - कविता - राजेन्द्र कुमार मंडल | रामधारी सिंह 'दिनकर' पर कविता
गुरुवार, सितंबर 22, 2022
जन-जन की कड़क वाणी हो तुम,
हिंदी की प्रखर अमर कहानी हो तुम।
कीर्ति तुम्हारी बने गगनचुंबी शिखर,
साक्षात रवि सी आभा है तेरी दिनकर॥
भारत माता कि हो तुम ऐसे लाल,
जनतंत्र की जगाए अलख विशाल।
जनता की बारी से सत्ताधारी जाते सिहर,
बता गए ये रहस्य हमारे दिनकर॥
राष्ट्र की मिट्टी में सने, राष्ट्र की किए सदा गुणगान।
हे हिंदी के कंठधार! मातृभाषा में बसे थे तेरे प्राण॥
युगों-युगों तक रहें कीर्ति तेरी, ग्राम-ग्राम, नगर-नगर।
जन-जन करे जयगान तेरी "जय दिनकर, जय दिनकर"॥
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