राकेश कुशवाहा राही - ग़ाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश)
माँ तेरा सहारा - कविता - राकेश कुशवाहा राही
सोमवार, सितंबर 26, 2022
माँ तेरा जो एक सहारा हो जाए,
तो यह मेरा जीवन सफल हो जाए।
धन-वैभव सुख की मुझे चाह नहीं,
बस तेरा दिव्य रूप साकार हो जाए।
भटकता रहा है चहुँओर मन मेरा,
भक्ति मे मन सदा चकोर हो जाए।
सुन ले पुकार हे! ममतामयी माता,
मेरे मन का भय सदा दूर हो जाए।
मैं अबोध बालक तू ही मेरी जननी,
तेरी कृपा से सब मेरे कष्ट दूर हो जाए।
माँ तेरे दर्शन को बड़ा विह्वल है 'राही'
हो जाए दरश तो भव सागर पार हो जाए।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर