अनूप अंबर - फ़र्रूख़ाबाद (उत्तर प्रदेश)
मेरी माँ - कविता - अनूप अंबर
शनिवार, सितंबर 24, 2022
मेरी ख़ुशी में ख़ुश हो जाती,
मेरे दर्द पे वो रोती है।
माँ जैसा कोई भी नहीं,
माँ ममता की मूरत होती है॥
ख़ुद भूखी रहती है पर,
वो पहले मुझे खिलाती है।
मेरी मुस्कान को देख के वो,
अपने ग़म को भूल जाती है॥
गंगा जैसी निर्मल है वो,
सदा शांत ही रहती है।
उसकी आँखों में ममता की,
सरिता निस दिन बहती है॥
उंगली पकड़ कर जिसने,
हमको चलना सिखलाया है।
मैं जो भी हूँ तेरे दम से हूँ,
तेरे त्याग भुला नहीं पाया हूँ॥
मुझको मंदिर जाने की ज़रूरत क्या?
मेरे घर में ही देवी रहती है।
उसके चरणों में चारो धाम है,
ये सारी दुनियाँ कहती है॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर