मयंक मिश्र - अजमेर (राजस्थान)
युद्ध और सफ़ेद फूल - कविता - मयंक मिश्र
रविवार, सितंबर 11, 2022
सफ़ेद फूल!
वही सफ़ेद फूल,
जो शांति का प्रतीक है;
सफ़ेद फूल तो आ गए!
लेकिन, उससे पहले;
दुनिया में होनी थी शांति!
हुआ क्या?
युद्ध!
बुद्ध के बाद ही शांति होनी थी,
लेकिन,
हुआ कलिंग युद्ध!
इसके बाद भी होनी थी शांति
लेकिन,
होते रहे छोटे छोटे सशस्त्र संघर्ष!
और हम सीखे भी;
तो युद्धाभ्यास!
क्योंकि...
गणित में पढ़ने थे अहिंसा के समाकलन!
लेकिन पढ़ा गया हिंसा का वृहत परवलय!
और
विज्ञान ने मुनाफ़ें की छत के नीचे
होता रहा हथियारों का सूत्रपात!
ऐसे में,
अब!
सभी को थामना होगा
साहित्य और संस्कृति का हाथ!
जिससे सब हो सके सफ़ेद फूल की तरह निश्छल!
और अद्वितीय!!
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर