राकेश कुशवाहा राही - ग़ाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश)
मीत तुम मेरे - गीत - राकेश कुशवाहा राही
गुरुवार, नवंबर 17, 2022
मीत तुम मेरे गीत बन गए,
प्रीत की तुम रीत बन गए।
जब भी मै अकेला रहा हूँ कभी,
अंधेरों से डरकर छुपा हूँ कही,
मीत तुम मेरे दीप बन गए।
समंदरो ने जब भी पुकारा मुझे,
लहरों ने जब भी डुबाया मुझे,
मीत तुम मेरे द्वीप बन गए।
काँटें चुभे है जब-जब पाँव में मेरे,
हाथ थामें है तुमने ही बढ़कर मेरे,
मीत तुम मेरे प्रीत बन गए।
मीत तुम मेरे गीत बन गए
प्रीत की तुम रीत बन गए।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर