अनिल कुमार केसरी - देई, बूंदी (राजस्थान)
कौन दोषी? - कविता - अनिल कुमार केसरी
सोमवार, नवंबर 21, 2022
कौन है?
जो पेड़ की डालों पर झूल रहा है,
कोई मस्ती में आया;
या कि अपनी बर्बादी पर मौत से खेल रहा है?
लग रहा कोई आम इंसान है,
फ़सल बर्बाद,
शायद फाँसी के फँदे पर झूलता किसान है?
क्या हुआ?
कि मौत इतनी सस्ती हो गई,
खेत-खलियान खाली,
सरकार भी अब न जाने क्यों बहरी हो गई?
क्यों?
ऐसे क़दम उसने उठाए होंगे,
बरसात ने,
या कि सिस्टम ने ऐसे हाल बनाए होंगे?
कौन दोषी?
किसके हिस्से मौत लिखी है?
शासन अंधा-बहरा,
शायद अन्नदाता की ही सारी ग़लती है...?
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर