मयंक द्विवेदी - गलियाकोट, डुंगरपुर (राजस्थान)
राम खिवैया मेरी नैया - गीत - मयंक द्विवेदी
मंगलवार, जनवरी 24, 2023
राम खिवैया मेरी नैया माली जीवन उपवन का,
राम है माँझी भवसागर का भवसागर तर जाएगा।
पत्थर शीला नारी बन गई तेरे चरण के वंदन से,
मेरा जीवन चंदन कर दो प्रभु तेरे अभिनंदन से।
बरसों राह तकती शबरी रघुनन्दन के आने का,
मेरा जीवन भी तर जाए जैसे तर गया शबरी का।
राम खिवैया मेरी नैया माली जीवन उपवन का,
राम है माँझी भवसागर का भवसागर तर जाएगा।
जैसे पत्थर-पत्थर तैरा राम नाम के अंकन का,
देखे नन्ही गिलहरी बाँधे, बाँधे सेतु कण-कण का।
मेरे साँसो की माला बंधी है राम नाम का मनका-मनका,
मेरा जीवन भी तारों प्रभुजी जैसे तर गया केवट का।
राम खिवैया मेरी नैया माली जीवन उपवन का,
राम है माँझी भवसागर का भवसागर तर जाएगा।
हृदय चीर के दिखला दूँ तो धड़कन बोले सीताराम,
धड़कन-धड़कन बोल रही है शरण तुम्हारे सीताराम।
राममय हो मेरा जीवन जैसे हो गया बजरंग का,
राम खिवैया मेरी नैया माली जीवन उपवन का।
राम है माँझी भवसागर का भवसागर तर जायेगा॥
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