प्रवल राणा 'प्रवल' - ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)
होली खेले कान्हा - गीत - प्रवल राणा 'प्रवल'
मंगलवार, मार्च 07, 2023
आज बिरज में होली खेले कान्हा।
होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥
कौन के हाथ में देवे पिचकारी,
कौन के हाथ गुलाल देवे कान्हा।
कान्हा के हाथ में लगी पिचकारी,
राधा के हाथ में गुलाल देवें कान्हा।
आज बिरज में होली खेले कान्हा।
होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥
कौन रंग की है राधा रानी,
कौन रंग के हैं मेरे कान्हा।
गोरे रंग की है राधा रानी,
श्याम रंग के हैं मेरे कान्हा।
आज बिरज में होली खेले कान्हा।
होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥
कहाँ से आई राधा रानी,
कहाँ से आए मेरे कान्हा।
बरसाने से आई राधा रानी,
नंद गाँव से आए मेरे कान्हा।
आज बिरज में होली खेले कान्हा।
होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥
किन के संग में राधा जी आईं,
किन के संग में आए मेरे कान्हा।
संग विशाखा राधा जी आईं,
संग सुदामा आए मेरे कान्हा।
आज बिरज में होली खेले कान्हा।
होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥
किन की बेटी हैं राधा रानी,
किनके कुंवर हमारे कान्हा रे।
वृषभानु दुलारी है मेरी राधा,
नंद के दुलारे हैं मेरे कान्हा।
आज बिरज में होली खेले कान्हा।
होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥
कौन दिशा से आई राधा रानी,
कौने दिशा से आए मेरे कान्हा।
पश्चिम दिशा से आईं राधा रानी,
पूरब दिशा से आए मेरे कान्हा।
आज बिरज में होली खेले कान्हा।
होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर