सुरेंद्र प्रजापति - बलिया, गया (बिहार)
थोड़ी सी विनम्रता - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति
बुधवार, मार्च 01, 2023
निर्मल शब्द, मेरे प्रिय के
कंचन तन को, सुंदर मन को
न बनने देना पत्थर सा सख़्त
न होने देना व्यथित और उदास
न खोने देना कोई गंध, स्वप्न
न ही युद्धरत होने देना
इसीलिए कि कोई प्रतिरोध करे
कोई दिखाए चाकू
चलाए नफ़रत का चाबुक
तो इसका यह अर्थ नहीं कि
हम कठोर बन जाएँ
कर लें कुविचारों को स्वीकार
संभव है अपनी दीनता से घिघीयाते
अपना घर फूँकते, तमाशा देखते
सृजन कर लें, तुम्हारे लिए
थोड़ी सी विनम्रता
प्रभात का सनोलापन, कोमलता का विस्तार
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर