अंकुर सिंह - चंदवक, जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
धरनी धर्म निभाना - कविता - अंकुर सिंह
रविवार, अप्रैल 16, 2023
साथ तेरा मिला जो मुझको,
बिछड़ मुझसे अब न जाना।
वपु रूप में बसों कही भी,
चित्त से मुझे न बिसराना॥
साथ तुम्हारा मुझे मिला है,
हर जन्म में इसे निभाना।
कहे ज़माना कुछ भी हमको,
त्याग मुझे तुम न जाना॥
सुख दुःख और कहासुनी से,
मुझसे तुम न अमर्ष होना।
हालात रहें जैसे भी जग के,
मुझसे फिर न विमुख होना॥
स्वत्व संग बहुतेरे फ़र्ज़ मेरे है,
उनको निभाने मुझे तुम देना।
श्वास रहें जब तक इस तन में,
संग प्रिये मेरे तुम भी रह लेना॥
सात फेरों का परिणय नहीं,
सात वचनों का हमारा बंधन।
हरपल बना रहे साथ यूँ ही,
करबद्ध करूँ ईश से वंदन॥
चार दिन की सौग़ात ज़िंदगी,
हर जन्म में बस तुम्हें है पाना।
प्रेम बाहों में लिपटी तुम मुझसे,
धरनी धर्म हर जन्म निभाना॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर