अवनीत कौर 'दीपाली' - गुवाहाटी (असम)
प्रियतम - कविता - अवनीत कौर 'दीपाली'
बुधवार, जून 21, 2023
प्रियतम तेरे नाम की
लिखी मैंने इक चिट्ठी
कुछ शिकायतें इस चिट्ठी में
कुछ बातें खट्टी-मीठी
प्रियतम संग नाता ऐसा प्यारा
वो मझधार मैं उसकी धारा
मदमस्त मैं नदी सी,
प्रियतम मेरा है किनारा
रिश्ता मेरा प्रियतम के संग
तीखा-मीठा प्यारा-न्यारा
प्रियतम तुम क्यों मुझे सताते
कभी मिलन,
कभी विरहा आग लगाते!
कृष्ण बन क्यों गोपियों संग,
प्रियतम रास रचाते हैं
राधा तो कृष्ण की ही रहेगी
यही सोच-सोच इतराते हो
मुस्कुरा दे अगर,
राधा किसी और के लिए
फिर क्यों आँख दिखाते हो!
प्रियतम मैं हूँ तेरी वफ़ा
फिर तुम क्यों,
बेवफ़ा कहलाते हो
रिश्तो की पकड़ हम डोर
मैं इसे छोर,
तुम उस छोर!
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