भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क' - शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश)
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क़हर ढा रहा आसमाँ - कुण्डलिया छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
क़हर ढा रहा आसमाँ - कुण्डलिया छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
शुक्रवार, जून 16, 2023
क़हर ढा रहा आसमाँ, बरस रही है आग।
सर पे गमछा बाँध ले, जाग मुसाफ़िर जाग॥
जाग मुसाफ़िर जाग, बदन गर्मी से उबले।
राति मसन की फ़ौज, सुनावै कानन जुमले॥
कहें बेधड़क बंधु, पसिनवा देह आ रहा।
गरमी का माहौल, शहर में क़हर ढा रहा॥
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