चेतक - कविता - अमित तिवारी 'बेचन'
रविवार, जुलाई 16, 2023
नाम था उसका चेतक,
था वो बड़ा मतवाला।
घोड़ों में कहते उसे,
महाराणा का भाला॥
हवा से अक्सर बातें करता,
जैसे हो तुफ़ानी।
पल में महाराणा के साथ,
घुम आए राजधानी॥
उसके तेज़ को देखकर,
होती सबको हैरानी।
घोड़ा है या पवन दुत,
या फिर है अवतारी॥
सब चाहें उसके जैसा,
पर उसकी अलग कहानी।
स्वामी भक्ति ऐसी थी जैसे,
मिरा थी दिवानी॥
जिसे कभी ना दाग़ मिला,
ना मिला कोई निशानी।
राज किया राजा की तरह,
और अंत में दी क़ुर्बानी॥
जी हाँ! बात करूँ मैं छिहत्तर की,
जब लोगों ने की मनमानी।
महाराणा के साथ मिलकर,
युद्ध किया तुफ़ानी॥
इसके वेग से चकित हो जाते,
घोड़े और हाथी।
सभी के छक्के छुड़ा दिए,
ये महाराणा का साथी॥
युद्ध भूमि में हुआ घवाहिल,
एक टाँग गवाँ दी।
फिर भी लम्बे गड्ढे को,
पार कर, दी क़ुर्बानी॥
अद्भुत उसका शौर्य था,
अद्भुत थी क़ुर्बानी।
अमर रहेगा चेतक और,
अमर रहे उसकी कहानी॥
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