शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फ़तेहपुर (उत्तर प्रदेश)
माँ - दोहा छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
शनिवार, अगस्त 19, 2023
माँ को पूजिय रे मना धरि चरनन में शीश।
सफल होय जीवन मनुज देहिं ईश आसीस॥
माता की रज माथ धरि बड़े बनत हैं लोग।
आशिष ऐसो कवच है भागैं दुःख नहिं भोग॥
मातु-पिता के चरण में रे मन! प्रभु को वास।
रज माथे पावन धरौ जीवन बनै सुपास॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर