या मकानों का सफ़र अच्छा रहा - ग़ज़ल - डॉ॰ राकेश जोशी
शनिवार, अगस्त 12, 2023
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती : 2122 2122 212
या मकानों का सफ़र अच्छा रहा,
या ख़ज़ानों का सफ़र अच्छा रहा।
जो ज़बाँ लेकर चले थे, मिट गए,
बे-ज़बानों का सफ़र अच्छा रहा।
भूख के क़िस्से ग़रीबों ने सुने,
दास्तानों का सफ़र अच्छा रहा।
झुग्गियों में पल रही है सभ्यता,
आसमानों का सफ़र अच्छा रहा।
कुछ बुझे चूल्हे बताते रह गए,
कारखानों का सफ़र अच्छा रहा।
मुश्किलें सारी पहाड़ों पर मिलीं,
पर, ढलानों का सफ़र अच्छा रहा।
था सफ़र नादान लोगों का कठिन,
कुछ सयानों का सफ़र अच्छा रहा।
पीढ़ियाँ-दर-पीढ़ियाँ पूजी गईं,
हुक्मरानों का सफ़र अच्छा रहा।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर