जयप्रकाश 'जय बाबू' - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
मेरी जान मेरी बेटी - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
रविवार, सितंबर 24, 2023
बन के उजाला आई है मेरी जान मेरी बेटी,
बन के आई मेरी मूरत मेरी पहचान मेरी बेटी।
सूना था ये गुलिस्ताँ तेरे आने से खिल गया,
पूरी हुई हर आरज़ू ये सारा जहाँ मिल गया।
तु ख़ुश रहे सदा बस यही अरमान मेरी बेटी,
बन के उजाला आई है मेरी जान मेरी बेटी।
ख़ुशियों के फूल बनके तुम सदा मुस्कुराना,
कोई भी ग़म आए पर तुम कभी ना घबराना।
जीत जाओगी एक दिन कहना मान मेरी बेटी,
बन के उजाला आई है मेरी जान मेरी बेटी।
जीवन का हर रंग बिन तेरे अधूरा ही रहेगा,
तुम जहाँ जाओगे हर काम पूरा होके रहेगा।
तुम हो मेरी दुनिया और अरमान मेरी बेटी,
बन के उजाला आई है मेरी जान मेरी बेटी।
दुनिया की रंगीनियों से ज़रा चलना संभल के,
भरम में डाल के कोई तेरी राह न बदल सके।
मंज़िल से हटना नहीं करना संधान मेरी बेटी,
बन के उजाला आई है मेरी जान मेरी बेटी।
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