काठ का कलेजा - कविता - संजय राजभर 'समित'
गुरुवार, नवंबर 30, 2023
एकदम सून्न सी
लाचार बदनसीब एक माँ
अपने तेरह साल के बच्चे को
परदेश जाते हुए देख रही थी
सरपट दौड़ती गाड़ी
ओझल हो गई
फिर भी ताक रही थी
सोच रही थी
एक नन्हा सा बच्चा
कैसे बिन माँ रहेगा
कैसे जी तोड़ मेहनत करेगा
वह काठ सी हो गई
कलेजा थामें
घंटों उधेड़बुन में खड़ी रही
संसार में लड़ाई
ख़ुद लड़नी पड़ती है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर