श्याम नन्दन पाण्डेय - मनकापुर, गोंडा (उत्तर प्रदेश)
जीवन क्या है? - लेख - श्याम नन्दन पाण्डेय
रविवार, दिसंबर 10, 2023
कुछ शब्दों, चीज़ों या विषयों को परिभाषित करना मुश्किल है
जैसे प्रेम, मित्रता और जीवन।
इन शब्दों का कोई सार्वभौम परिभाषा नहीं है।
इस लेख में बात करेंगे जीवन पर विशेषता मानव जीवन पर जीवन की परिभाषा लंबे समय से वैज्ञानिकों और दार्शनिकों के लिए एक चुनौती रही है। यह आंशिक रूप से इसलिए है क्योंकि जीवन एक प्रक्रिया है, पदार्थ नहीं। यह जीवों की विशेषताओं के ज्ञान की कमी से जटिल है।
जीव विज्ञान के अनुसार जीवन की विभिन्न संस्थाओं को प्रायः खुले तन्त्र के रूप में माना जाता है जो समस्थापन को बनाए रखते हैं, कोशिकाओं से बने होते हैं, एक जीवन चक्र होता है, चयापचय से गुज़रता है, बढ़ सकता है, अपने पर्यावरण के अनुकूल हो सकता है, उद्दीपकों का प्रतिक्रिया दे सकता है, जनन कर सकता है और कई पीढ़ियों से क्रम विकसित हो सकता है।
बात करते हैं मनुष्य के जीवन की उसके पहलुओं, उद्देश्य और सार्थक और सफल जीवन की कुछ दार्शनिकों और विशेषज्ञों ने कुछ सटीक परिभाषाएँ दी हैं जो काफ़ी हद तक ठीक है पर हर स्थिति या हर व्यक्ति के लिए सही नहीं बैठती।
अगर आप गूगल करेंगे तो पाएँगे जीवन का अर्थ- "जीवित दशा", जीवित होना या ज़िंदगी।
जीवन एक कैनवास है जिसे आप अपने सपनो से भरते हैं।
चलना ही जीवन है अर्थात जीवन एक यात्रा है, सीखना ही जीवन है, जीवन एक संघर्ष है। असल मे जीवन ये सब है इन सब का समुच्चय है।
एक बेघर, बेरोज़गार और उसके परिवार के लिए जीवन अर्थ दो बार के भोजन और तन ढकने के कपड़े और अगला दिन फिर इसी कार्य में लगने से ज़्यादा कुछ नहीं।
किसी बीमारी से जूझ रहे या मरणासन्न व्यक्ती के लिए साँसे चलती रहे और जल्द स्वस्थ होना ही जीवन है।
समान्य आदमी जिसके बेसिक नीड्स पूरे हैं उसके लिए जीवन का मतलब सपने देखना और उसे पूरा करने का संकल्प और संघर्ष है जीवन।
वहीं जिसके पास पहले से सब कुछ है अच्छा व्यवसाय, बंगले, गाड़ियाँ और बैंक बैलेंस उसके लिए जीवन आसान और मौज मस्ती है भोगना ही जीवन है।
कोई सब कुछ छोड़कर संन्यास में जीवन ढूँढ़ता है।
हर व्यक्ति और स्थिति के लिए जीवन की अलग परिभाषाएँ हैं, एक ही व्यक्ति अलग-अलग स्थिति में जीवन को अनुभव और परिभाषित करता है।
जीवन का हर दिन अप्रत्याशित, अद्भुत और अकल्पनीय है। हमारे सोचने, समझने और मानने पर भी जीवन निर्भर करता है। हम जैसा सोचते हैं वैसा बन जाते हैं और हमारा जीवन वैसा ही बन जाता है।
जीवन का अर्थ है सचेत होना, चेतना। अपनी क्षमता के अनुसार दुनिया को कुछ दे जाना। अपने जन्म को सार्थक करना, मानव जन्म को व्यर्थ न जाने देना।
जीवन में संतुलन बहुत ज़रूरी है। बचपन मे हम सब ने सुई धागा और मुँह में चम्मच दबाकर उसमें कंचे रखकर दौड़ में हिस्सा लिया होगा इस दौड़ में एक फिनिशिंग लाइन होती है, सुई में धागा डालते हुए या चम्मच पर कंचे या नींबु रखकर मुँह मे दबाकर दौड़ना होता है सबसे पहले फिनिशिंग लाइन पहुँचने वाला नहीं जीतता बल्कि वो जीतता है जो सूई में धागा डाल देता है या चम्मच से कंचे गिराए बिना फिनिशिंग लाइन पर सबसे पहले पहुँचता है विजेता वहीं होता है।
आप सफल तभी हैं जब पद प्रतिष्ठा और पैसे के साथ-साथ परिवार स्वास्थ्य, रिश्तों और समाज में भी संतुलन बनाए रखते हैं।
जापानी लेखक हेक्टर गार्सिया और फ्रांसिस मिरेलस द्वारा लिखी गई पुस्तक इकिगाई जिसका अर्थ है सार्थक जीवन या उद्देश्य पूर्ण जीवन, जिसमें जापान के दक्षिण इलाके के टापू ओकिनावा के लोगों के जीवनशैली पर विस्तार से लिखा और समझाया है। दुनिया के सबसे स्वस्थ और लम्बी उम्र के लोग यहाँ रहते हैं। इस पुस्तक में जीवन को समझने और इसे सार्थक और उद्देश्यपूर्ण बनाने पर चर्चा की गई है।
इकिगाई के अनुसार जब हम 20 की उम्र पार करते हैं तभी से हमारे न्यूरॉन्स (दिमाग़ की पेशियाँ या नर्व सेल्स) वयस्क होने लगती है। बौद्धिक व्यायाम, जिज्ञासा और सीखने की इच्छा इत्यादि चीज़ों की वजह से न्यूरान्स के वयस्क होने की प्रक्रिया धीमी पड़ने लगती है जिस से हमें सकारात्मक नज़रिया व ऊर्जा मिलती है और हमारी उम्र लम्बी होती है।
अपने मन और शरीर को सक्रिय रखना एक स्वस्थ और लंबी उम्र का मंत्र है।
प्रकृति का हर उत्पादन अद्वितीय है और उसकी अपनी उपयोगिता है।
हम में से हर किसी के पास असाधारण और महान कार्य करने की क्षमता है, हम उस महान लक्ष्य को प्राप्त करेंगे या नहीं यह इस पर निर्भर नहीं करता कि हम किस परिस्थिति में हैं बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि हम उस परिस्थिति में क्या निर्णय लेते हैं।
जीवन सफल और आसान बनाने के लिए आवश्यक है हम सामाजिक रहें, ज़िम्मेदारी लेकर निर्णय लें, समस्याओं को सुलझाने की क्षमता या कुशलता सीखें, एडजस्ट (सामंजस्य) करने की क्षमता वा कुशलता विकसित करें। यही जीने का तरीक़ा है।
जीवन सुख-दुःख का संगम है और प्रकृति हमें सर्वाइव करना सिखाती है, संघर्ष करना सिखाती है। जीवन संघर्षो की एक शृंखला है।
अच्छे समय, ख़ुशियों और उपलब्धियों के साथ-साथ विषम परिस्थितियाँ, प्रतिकूलताएँ और दुःख भी आएगा। ये जीवन का हिस्सा है। याद रखें जो टूट कर बिखरते हैं वही मसीहा बनकर निखरते हैं।
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