चौबीस शुभ संदेश ध्येय हो - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सोमवार, जनवरी 01, 2024
करें विदाई तेइस अतीत, जी 20 भारत कीर्ति गढ़ा हो।
स्वागत है नववर्ष तुम्हारा, सुखद प्रगति उल्लास नया हो।
सुख नया साल परिपेक्ष्य नए, हो नव विचार पौरुष नव हो।
नव मानसरोवर स्नेह विमल, उमंगें तरंग चहुँ उन्नत हो।
आएँ नूतन साल मनाऍं, चौबीस शुभ संदेश ध्येय हो।
ख़ुशियाँ जग में फैलाऍं हम, मधुरिम स्नेह स्वदेश गेय हो।
नवल भोर अरुण नववर्ष उदय, अरुणाभ विश्व आनंदित हो।
चहुँ दिशा शान्ति बिन भ्रान्ति प्रजा, नववर्ष आंग्ल मंगलमय हो।
नया साल नया विचार मनुज, नवयौवन नूतन उमंग हो।
निर्माण स्वयं कल्याण जगत, संकल्प ध्येय पथ तरंग हो।
हो चहुँ कोरोना मुक्त वतन, फैले ख़ुशियाँ नवजीवन हो।
नवोन्मेष प्रगति पथिक यतन, निशिकांत सुखद संजीवन हो।
नभ इन्द्रधनुष सतरंग सुभग, शौर्य विजय गीतें बहार हो।
नीलाभ उड़े तिरंगा भारत, गणतंत्र शान प्रीति फुहार हो।
अनमोल धरोहर भारत जय, समतामूलक जनजीवन हो।
हो विभव सकल मुस्कान अधर, मैत्री भावित हृदयांगन हो।
उन्वान वतन अरमान वतन, उत्थान सकल जन भारत हो।
पुरुषार्थ सार्थ परमार्थ सुपथ, सुखधाम दीप शुभ आरत हो।
अविराम यतन मानवता हित, सद्नीति रीति पथ जीवन हो।
सप्तसिन्धु सरित स्नेहिल समरस, अवगाहन सुन्दर भावन हो।
अभिराम सुखद आगत भविष्य, नववर्ष आंग्ल मानव हित हो।
हो रोगमुक्त धरती अम्बर, चहुँ अमन समुन्नत हर्षित हो।
नित नवल निकुंज नवोदित मन, कवि भाव रम्य सद्भावन हो।
कविता ललिता संगीत कला, कोकिल पंचम स्वर सावन हो।
मनमोहन माधव ऋतु वसन्त, नववर्ष रसाल मुकुलित वन हो।
घन घटा व्योम नर्तन मयूर,मधुश्रावण नव प्रीति मिलन हो।
अनुसंधान देश उत्कर्ष नवल, अभिमत जनमत संविधान हो।
समुदार क्षमा सौहार्द्र विमल, आत्मनिर्भरता स्वाभिमान हो।
हो विश्वशांति परिवार धरा, योगक्षेमं वहामि मानक हो।
सत्यमेव जयते पथ दृढ़ता, परमवीर बल अभिमानक हो।
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