सिद्धार्थ गोरखपुरी - गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
यार रखना तो यार पुराने रखना - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी
बुधवार, जनवरी 03, 2024
चाहे साथ अपने ज़माने रखना
यार रखना तो यार पुराने रखना
वो बचपन का साथी न भूले कभी भी
झूठों का डेरा कुछ उसमें सही भी
याद बिसरे नहीं उसको सिरहाने रखना
चाहे साथ अपने ज़माने रखना
यार रखना तो यार पुराने रखना
वो स्वार्थ की दोस्ती में महज़ स्वार्थ दोस्ती का...
असल में उसी समय वास्तविक था भावार्थ दोस्ती का
तब भूल जाते थे ना... दोस्ती में पैमाने रखना
चाहे साथ अपने ज़माने रखना
यार रखना तो यार पुराने रखना
प्रेम से रूठना और प्रेम से मान जाना
दोस्त को देख के उसके मन की बात जान जाना
उसको मनाने के अनगिनत बहाने रखना
चाहे साथ अपने ज़माने रखना
यार रखना तो यार पुराने रखना
टॉफ़ी से दोस्ती की शुरुआत होती थी
मिठास की जीवन में फिर बरसात होती थी
याद रखना हो तो मिश्री के कुछ दाने रखना
चाहे साथ अपने ज़माने रखना
यार रखना तो यार पुराने रखना
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