श्रद्धा भक्ति प्रेममय होली है - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रविवार, मार्च 24, 2024
ब्रज होली है रंगों का त्यौहार राधा संग खेलें होली रे।
गोरी राधा हृदय गोपाल मन माधव प्रिय हमजोली रे।
मोहे रंग दे गुलाल गाल फागुनी होली आयो रे।
भाँग नशा प्रीत मधुशाल रंगीली हृदय गोपाल मन माधव प्रिय हमजोली रे।
मोहे रंग दे गुलाल गाल फागुनी होली आयो रे।
भाँग नशा प्रीत होली आयो रे।
आलिंगन हिय प्रणय उद्गार रंगीला प्रीतम आयो रे।
साजन लगाऊँ गाल गुलाल देखो साजन मुस्कायो रे।
मधुवन में बाल गोपाल मिले परस्पर रंग बरसायो रे।
मदमाती भींगी ग्वारन रंग ग्वालों बेहाल बनायो रे।
नटवर मोहन गिरधारीलाल पिचकारी रंग भरायो रे।
देखी गोरी राधिका श्याम छिपे प्रिय गुलाल लगायो रे।
न भाग राधिका दिल गुलज़ार, मोहे तू रंग रंगायो रे।
मैं भी प्रिय नंदलाल बाल, तुझको सतरंग लगाऊँ रे।
खाऊँ गुलाबजामुन गुजिया यशोदा अम्ब बनाओ रे।
मत बन हुडदंगी गोपाल बालपन धूम मचायो रे।
समरस प्रेम रंगीन फुहार उमंग बहार बरसायो रे।
भूले सब गम दु:ख अन्तर्मन होली तरंग लहरायो रे।
अपनत्व रिश्तों भरे मिठास मधुमास बसन्त हज़ारो रे।
मोहे रंग दे गुलाल गाल फागुनी होली आयो रे।
जोगीरा सा रा..रा.. धुन गीत बृज मोहन खेले होली रे।
लीलाधर षोडश शृंगार मधुर मुरली सुर बोली रे।
श्रद्धा भक्ति प्रेम रस प्लावित, रंग होली का त्यौहार रे।
मोहन राधा रंग रास मन, होली फागुन रंग बहार रे।
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