मेरी कविताएँ - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
शनिवार, मार्च 09, 2024
मेरी कविताएँ मेरा सहारा है
मैंने जब जब उनको पुकारा है
वह साथ देती है मेरा हर वक्त
फैलाती दिल में उजियारा है
मेरी कविताएँ मेरा सहारा है।
मन की पीड़ा हो
या फिर यार की बेवफ़ाई
हर दर्द को बहाकर
राहत देती इसकी रोशनाई
हर उलझन की दरिया से
मुझ को पार उतारा है,
मेरी कविताएँ मेरा सहारा है।
समाज की विसंगति हो
या प्रकृति की वंदना हो
ख़ामोश मन की तड़प हो
या कोई करुण क्रंदना हो
देकर शब्द उन्हें 'जय बाबू'
हर ज़ख़्म को दुलारा है
मेरी कविताएँ मेरा सहारा है।
बाल मन की चंचलता हो
या फिर युवा अल्हड़ता हो
कोई फुलाकर निज तन को
चाहे मुर्दों सा अकड़ता हो
देकर एक नई परिभाषाएँ
जीवन पथ को सँवारा है
मेरी कविताएँ मेरा सहारा है।
गीत संगीत की शक्ति अपार
मरहम बन हर ज़ख़्म को भरे
जीवन को सत राह दिखाए
गुंजित हर उपवन को करे
मनवांछित फल देकर हमको
हर मुश्किल से उबारा है
मेरी कविताएँ मेरा सहारा है।
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