महेंद्र सिंह कटारिया - नीमकाथाना (राजस्थान)
परीक्षा - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया
गुरुवार, मार्च 07, 2024
आने से जिसके चढ़े बुख़ार,
जाने से ख़ुशी का बढ़े ख़ुमार।
होती दुखदायी है, जीवन में परीक्षा।
ज़िंदगी में होना अगर तो,
मिले न प्रगति का ज्ञान।
दे संकेत बताती कितना,
शिक्षा के प्रति विहित ध्यान।
अन्तर्मन के गुणदोषों की,
करती है जो सबकी समीक्षा।
होती दुखदायी है, जीवन में परीक्षा।
संघर्ष क्षमता संगठनात्मक योजना,
करती नए ज्ञान का अवसर प्रदान।
सामाजिक व्यक्तिगत स्तर पर भी,
प्रगति मापदंडों को करती आसान।
श्रमशील को निज श्रम फल ख़ातिर,
सदा रहती है जिसकी प्रतीक्षा।
होती दुखदायी है, जीवन में परीक्षा।
मेहनत से जो कभी जी ना चुराते,
वे लक्ष्य साध सफलता पाते हैं।
कल पर टाल जो समय गँवाते,
वे हाथ पर हाथ धरे रह जाते हैं।
परिश्रमी आनंद अनुभूति के संग,
समाज में पाते हैं बेशुमारी प्रतिष्ठा।
होती दुखदायी है, जीवन में परीक्षा।
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