उमेन्द्र निराला - हिंनौती, सतना (मध्यप्रदेश)
यह दीपक है इसे जलना ही चाहिए - कविता - उमेन्द्र निराला
बुधवार, मार्च 13, 2024
देख बुराई अपने अंदर
इसे मरना ही चाहिए,
जीवन में फैला अँधेरा
मिटना ही चाहिए,
यह दीपक है
इसे जलना ही चाहिए।
लगी विचारों मे वर्षो की दीमक
इसे हटना ही चाहिए,
विरासत में पाया रूढ़िवादिता और अंधविश्वास
इसे जलना ही चाहिए,
यह दीपक है,
इसे जलना ही चाहिए।
अपने को सर्वोच्च समझना
यह वहम हटना ही चाहिए,
मानव में ही ऊँच-नीच की लगी जंग
इसे गलना ही चाहिए,
यह दीपक है
इसे जलना ही चाहिए।
घमंड से भरी आँखें तेरी
इसे गिरना ही चाहिए,
द्वेष ईर्ष्या और अस्पृश्य्या भावना को
अवगुण कहना ही चाहिए।
हर बुराई से जीतने के लिए
ज्ञान के दीपक को जलना ही चाहिए,
यह दीपक है,
इसे जलना ही चाहिए।
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