क्या वह दोषी है? - लघुकथा - डॉ॰ सुनीता श्रीवास्तव

क्या वह दोषी है? - लघुकथा - डॉ॰ सुनीता श्रीवास्तव | Laghukatha - Kya Wah Doshi Hai - Dr Sunita Shrivastava
“अब जाकर घर आ रही हैं…!! तुम्हारे कारण माॅं चल बसी, एक भी फ़ोन नहीं उठाया तुमने?”- उत्तम (राशि का पति) भरी भीड़ में सबके सामने राशि पर भड़क उठा। 
राशि अस्पताल की चिकित्सक हैं, पति का ग़ुस्सा और सासु माॅं के मृत्यु के समाचार सुनकर राशि अवाक रह गई… इस वक्त कुछ न बोलना ही उचित समझते हुए, वो चुपचाप अंदर चली गई। अंदर का सारा दृश्य देखकर वो और भी स्तब्ध रह गई। 
उसके मायके वाले भी आ चुके थे, और उसे कुछ ख़बर ही नहीं? जब अंदर जा कर अपना फ़ोन निकाला तो देखा उसमें अंगिनत मिस्डकॉल थे। कॉल देखकर उसे पछतावा तो हो रहा था… 
पर रात को अचानक यातायात दुर्घटना के कारण आपातकालीन केस आने से रात भर नींद त्याग कर घायलों के उपचार करने के बाद, थक कर वो सुबह 5 बजे घर को रवाना हुई। 
अस्पताल में ही मोबाइल की बैट्री ख़त्म होने से, वह फ़ोन नहीं उठा पाई।
और यह सारा सिलसिला राशि ने अपनी बहन को बताते हुए पूछा- “उत्तम ने माँ की मृत्यु का दोषी मुझे क्यों ठहराया?” 
वह बोली- “डॉक्टर ने बताया कि माँ को रात में दवाई नहीं मिली जिससे उनकी मृत्यु हो गई। जब सभी ने पूछा कि दवाई क्यों नहीं दी गई? तो उत्तम ने कहा- “यह राशि का काम था, पर वह तो रात भर अपने डॉक्टर सहकर्मियों के साथ गपशप कर रहीं होगी?”
अपनी बहन की यह बात सुन राशि की आँखें अश्रुओं से नम हो चुकी थीं, मन ही मन दुख और पीड़ा से सोचने लगी- “माँ की देखभाल पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी थी, लेकिन उत्तम ने तो यह ज़िम्मेदारी केवल मुझ पर डाल दी… कितना क़ायर है उत्तम? उसे क्या पता मैं अभी कितने यात्रियों की जान बचाकर आई हूँ…!”

डॉ॰ सुनीता श्रीवास्तव - इंदौर (मध्य प्रदेश)

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