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आज़ादी हमको मिली - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | स्वतंत्रता दिवस पर दोहे
आज़ादी हमको मिली - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | स्वतंत्रता दिवस पर दोहे
मंगलवार, अगस्त 13, 2024
सावन मनभावन सरस, सुरभित हवा प्रवाह।
बलिदानों की याद बन, आज़ादी उत्साह॥
आज शहीदों को नमन, त्याग तपस्या मंत्र।
आज़ादी हमको मिली, सार्वभौम गणतंत्र॥
उड़े तिरंगा व्योम में, काल चक्र नीलाभ।
केसरिया हरिता धवल, शौर्य प्रगति अरुणाभ॥
कोटि कोटि बलिदान से, देश हुआ स्वाधीन।
धर्म जाति भाषा ज़मीं, कलह वतन श्रीहीन॥
मेरे भारत देश में, जाति धर्म बहु भाष।
किन्तु एकता देश की, जन जन मन अभिलाष॥
अरुणाचल लद्दाख़ तक, नाथूला छांगूर।
भारत वीरों विजय रथ, अमर शौर्य दस्तूर॥
सावन की बरसात से, हरित राष्ट्र उत्कर्ष।
अन्न बसन जल छत सभी, हो आज़ादी हर्ष॥
लोकतंत्र विश्वास हो, युवाशक्ति उम्मीद।
रोज़गार शिक्षा सुलभ, जन गण बने मुरीद॥
आती विपदा देश पर, भंग प्रेम चहुँ शान्ति।
तब तब जनमानस जगे, परिवर्तन की क्रांति॥
पुन: शरारत पाक की, घुसपैठी आतंक।
दशहत फिर फैला रहे, छिप कर देते डंक॥
सीमा चहुँ माँ भारती, चौकस भारत वीर।
आतंकी संहार रत, बने सजग रणधीर॥
समरसता सौहार्द्र मन, मानवीय सहयोग।
ईश्वर पर हो आस्था, प्रेम शान्ति सुख भोग॥
महकें ख़ुशियाँ देश में, खिले अधर मुस्कान।
दिली न्याय इन्सानियत, सदाचरण ईमान॥
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