सैय्यद शारिक़ 'अक्स' - शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश)
मार डालेंगी हमें उनकी यही अठखेलियाँ - ग़ज़ल - सैय्यद शारिक़ 'अक्स'
शनिवार, अगस्त 17, 2024
अरकान : फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाइलुन
तक़ती : 2122 2122 2122 212
मार डालेंगी हमें उनकी यही अठखेलियाँ,
उनका यूँ मिलना के रखना फ़ासले भी दरम्याँ।
फ़ैसला हो जाएगा बस आज मेरे ज़ब्त का,
साँसें टूटेगी मेरी या उनकी ये ख़ामोशियाँ।
सीने में दिल, दिल में तुम, तुम में हमारी जान है,
तुम नहीं तो कुछ नहीं दुनियाँ की ये रंगीनियाँ।
अपना अपना है मुक़द्दर देखिए इस इश्क़ में,
शुहरतें उनको मिली हमको मिली रुसवाइयाँ।
तूने ठुकरा के मुझे एक रास्ता भी दे दिया,
मैने रब की बन्दगी में काट दीं तनहाइयाँ।
हर घड़ी हुशियार रहना ज़िन्दगी में दोस्तों,
कर न दें बर्बाद तुमको वक़्त की तब्दीलियाँ।
'अक्स' दिल का दर्द उस दम ढलता है अशआर में,
ज़हन में चलती हैं जब भी फ़िक्र की पुरवाइयाँ।
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