आज़ादी की गाथा - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव

आज़ादी की गाथा - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव | Deshbhakti Kavita - Aazadi Ki Gaatha, Hindi Deshbhakti Poem on Independence Day. आज़ादी पर कविता
स्वतंत्रता के सूरज की,
रश्मियाँ बिखरी हैं चहुँओर,
वीरों के बलिदान से सजी,
ये धरती गाती है गीत और।

लहू से रंगी थी ये धरती,
कभी धुएँ से थी काली,
आज तिरंगे के नीचे,
महक रही है वो लाली।

हर पत्ता, हर फूल यहाँ,
गाता है आज़ादी की गाथा,
शांत हवा में भी छिपी है,
वीरों की अनमोल प्रथा।

बोलते हैं आज हम खुलकर,
वो बातें जो छिपी थीं कभी,
धरती पर हक़ है अपना,
अब नहीं कोई ज़ंजीर कभी।

नमन करो उन माँओं को,
जिनके लाल लौटे नहीं,
नमन करो उन बहनों को,
जिनके भाई फिर कभी सोए नहीं।

आओ मिलकर हम सब,
वो एकता की मशाल जलाएँ,
जिसकी रोशनी में ये वतन,
सदा अमर रहे, चमकता जाए।

ये तिरंगा ऊँचा रहे सदा,
हर दिल में हो इसकी पहचान,
हमारे ख़ून में बसी है आज़ादी,
हम हैं इस धरती के अभिमान।

चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव - प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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