देश की पुकार - कविता - आनंद त्रिपाठी 'आतुर'

देश की पुकार - कविता - आनंद त्रिपाठी 'आतुर' | Hindi Kavita - Desh Ki Pukaar. देशभक्ति कविता. Deshbhakti Poem Hindi
देश की पुकार में शत्रु की ललकार में,
छोड़ मोह प्राण का सिंह सा दहाड़ दो।
यदि चढ़े ये देश में दानवों के वेश में,
काट शीश रुण्ड से धरा में वहीं गाड़ दो।

तुम हो वीर पुत्र अब विलंब मत करो कहीं,
स्वाभिमान हित सभी बेड़ियों को काट दो।
यदि कहीं हो खाईयाँ, रोक ले पथ तेरे तो,
शत्रु के ही अस्थियों को डाल कर तुम पाट दो।

इनको यदि भरम बाजू बल का है अपने कहीं तो,
युद्ध के मैदान में इनको अब पछाड़ दो।
नस्ल इनकी भूले न कभी तुम्हारी चोट ये,
ऐसा करो तुम मेरे वीर नस्ल ही उजाड़ दो।

देश की पुकार में शत्रु की ललकार में,
छोड़ मोह प्राण का सिंह सा दहाड़ दो।

आनंद त्रिपाठी 'आतुर' - मऊगंज (मध्य प्रदेश)

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