हमें मिली आज़ादी थी - कविता - अनुज

हमें मिली आज़ादी थी - कविता - अनुज | Aazadi Kavita - Hume Mili Aazadi Thi - Independence Day Poem Hindi. स्वतंत्रता दिवस पर कविता
आधी रात को सुनाई दी वो गूँज
ढोल और ताँशे की थी,
आधी रात को चमका था सूरज
क्योंकि हमें मिली आज़ादी थी।
सोने की चिड़िया ने आज
लोहे की ज़ंजीरें काटी थीं,
अंग्रेज़ों को उखाड़ फेंका
क्योंकि वो हिन्दुस्तानियों की माटी थी।
जय-जयकार की जिसने भारत की
वो भारत की 34 करोड़ की आबादी थी,
आधी रात को चमका था सूरज
क्योंकि हमें मिली आज़ादी थी।


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