नन्हा-सा पौधा - कविता - बिंदेश कुमार झा

नन्हा-सा पौधा - कविता - बिंदेश कुमार झा | Hindi Kavita - Nanha Sa Paudha - Bindesh Kumar Jha. Hindi Poem About Plants. पौधे पर कविता
धरती की छत तोड़कर,
एक पौधा बेजान-सा आकार,
सूर्य की लालिमा से प्रोत्साहित
उठ रहा है देखने संसार।

बादलों ने चुनौतियाँ दीं
पत्थर की बूंदें बरसा कर,
सूरज ने मुख मोड़ लिया
पानी की बूंद से तरसा कर।

तेज़ हवाओं ने भी अब
कोशिश की कमर तोड़ने की,
इसने जड़ पसार लीं यहाँ
एक पहल की ख़ुद को जोड़ने की।

हार गए प्रकृति के दूत
धरती ने भूकंप का उपहार दिया,
अपनी मज़बूत साहस जड़ों का
नन्हे-से पौधे ने विस्तार किया।

बिंदेश कुमार झा - नई दिल्ली (दिल्ली)

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