प्रेम की परिभाषा में - कविता - नंदनी खरे 'प्रियतमा'

प्रेम की परिभाषा में - कविता - नंदनी खरे 'प्रियतमा' | Prem Kavita - Prem Ki Paribhasha Mein - Nandani Khare. Hindi Love Poem | प्रेम की परिभाषा कविता
अर्पण लिख दूँ, समर्पण लिख दूँ
लिख दूँ पा लेना सब कुछ
या त्याग का दर्पण लिख दूँ

मीरा का तप त्याग लिख दूँ
सिया का बैराग लिख दूँ
या राधा रानी का अनुराग लिख दूँ

समतल सरिस कोई भाव लिख दूँ
सहज सुंदर स्वाभाव लिख दूँ
या स्वयं का स्वयं में आभाव लिख दूँ

अनंतता की आस लिख दूँ
शुन्यता का आभास लिख दूँ
या मन ही मन की अरदास लिख दूँ

अनकही कोई बात लिख दूँ
दिल से दिल का साथ लिख दूँ
बनारस का कोई घाट लिख दूँ
दिलवालों का हाट लिख दूँ
या अलबेला अल्हड़ बाट लिख दूँ

लिख दूँ व्यस्थ उपमाओं में
या अनुपम अनुराग लिख दूँ
सुनता गाता जो स्वयं में पूर्ण
एक प्रेम का राग लिख दूँ
महका-महका है सबमें
जाने कौन सा बाग़ लिख दूँ

शिव को समर्पित फूल लिख दूँ
सुख दुख संग अनुकूल लिख दूँ
खोज लाऊ उपमाओं को
या उपमा रहित एक भूल लिख दूँ

अटपट चटपट सा पुचका लिख दूँ
अनुभव कुछ-कुछ का लिख दूँ
एक अपलक स्वप्न, या प्रसंग सचमुच का लिख दूँ

आँखों की कोई भाषा लिख दूँ
अपूर्ण अन्मुख अभिलाषा लिख दूँ
छोड़ दूँ रिक्तता उसमें
या सुंदर सजग निराशा लिख दूँ

श्रद्धा का पर्याय लिख दूँ
जीवन का चकित अध्याय लिख दूँ
या स्वयं का स्वयं से अन्याय लिख दूँ

प्रेम तुम्हें क्या कौन लिख दूँ
बेहतर है मध्यस्थ मौन लिख दूँ

नंदनी खरे 'प्रियतमा' - छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश)

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