राखी: रिश्तों का बंधन - कविता - आर॰ सी॰ यादव | रक्षाबंधन पर कविता

राखी: रिश्तों का बंधन - कविता - आर॰ सी॰ यादव | रक्षाबंधन पर कविता | Rakshabandhan Kavita - Rakhi Rishton Ka Bandhan
आशा और विश्वास समेटे
अमिट प्रेम का बंधन है।
आत्मीय रिश्तों का मधुबन
प्यारा रक्षाबंधन है।

भाई के हाथों में सजती
रेशम के धागे की डोर।
बहन के प्रगाढ़ प्रेम से
हो जाता मन भावविभोर॥

रोली चंदन तिलक भाल पर
मधुकर, सुखकर, मनहर लगता।
दिव्य शक्ति आशीष बहन की
जीवन को ख़ुशियों से भरता॥

जीवन में पग-पग पर मिलती
मधुर प्रेम की अमिट निशानी।
निर्मल निश्छल प्रीत बहन की
बन जाती है अमर कहानी॥

भाई-बहन के पवित्र प्रेम की
अनुपम अलौकिक गाथा है।
आत्मीय रिश्तों से जुड़ता
जो इससे बंध जाता है॥

अंतस से पुष्पित होता जो
प्रगाढ़ प्रेम मकरंद समेटे।
देख नयन विह्वल हो जाता
भाई जो ख़ुशियाँ हैं देते॥

अमर प्यार यह रहे धरा पर
सदियों जीवित रहे कहानी।
भाई-बहन के पावन रिश्ते की
घर-घर गूंजे अमर कहानी॥

आर॰ सी॰ यादव - जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

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