राधेय - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी

राधेय - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी | Hindi Kavita - Radhey - Siddharth Garakhpuri. राधा कृष्ण पर कविता
आइ गई रुत पावन-भावन,
जन्म लिए जिस रोज़ कन्हाई।
बादर देखि हिय हरषि गयो जब,
करुणानिधि ने करुणा बरसाई॥

किशोरी के मन को भाइ गए,
ऐसे सुंदर चित चितव कन्हाई।
झट रूष गए झट मानि गए,
कछु ऐसी रही राधेय लराई॥

श्याम-प्रिया के हैं भाग बड़े,
राघव हिय तक जिनकी नियराई।
प्रेम भाव कबो कम न रहा,
चाहे थी भली अपरिमेय तन्हाई॥

नंदगोपाला रहे सबके लाला,
लेइ लकुटी, दुशाला धेनु चराई।
नैन रहे अति मतवारे-न्यारे,
लिहो सब गोपियन के हिय को चुराई॥

भाग हमारे जगि जइहों भली,
बस एक नजर जब तकिहें कन्हाई।
थकि-हारी के हरि जब अइहें घरे,
लेबों चरन पे आपन माथ छुआई॥

सिद्धार्थ गोरखपुरी - गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)

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