रक्षाबंधन का त्यौहार - कविता - रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़'

रक्षाबंधन का त्यौहार - कविता | Rakshabandhan Kavita - Rakshabandhan Ka Tyohaar. Hindi Poem on Raksha Bandhan | राखी पर कविता
ये रक्षाबंधन का त्यौहार
मनाने को हैं हम तैयार
हो न अब मुझसे इंतज़ार
देखो मैं कब से हूँ बेक़रार
ये रक्षाबंधन का त्यौहार
मनाने को हैं हम तैयार।

ओ बहना माफ़ करो
क्षमादान दो भैय्या को
सुभद्रा राखी बाँधे देखो
दाऊ कृष्ण कन्हैया को
पावन पर्व ये सावन का
है ख़ुशियों का त्यौहार
ये रक्षाबंधन का त्यौहार
मनाने को हैं हम तैयार।

हरिप्रिये बलि से हरि माँगे
रक्षा सूत्र बाँध कर धागे
बंधन से बंधन हरि त्यागे
धन्य बलि हरि बोलन लागे
अटूट प्रेम स्नेह ये जागे
देख भाई बहन का प्यार
ये रक्षाबंधन का त्यौहार
मनाने को हैं हम तैयार।

रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़' - रीवा (मध्यप्रदेश)

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