रमेश चन्द्र यादव - चान्दपुर, बिजनौर (उत्तर प्रदेश)
रिटायरमेंट - कविता - रमेश चन्द्र यादव | Retirement Poem Hindi
बुधवार, अगस्त 21, 2024
उगता सूरज लगता सुन्दर,
सबके मन को भाता है।
पर ढलता सूरज भी देखो,
सन्देश नया दे जाता है।
दिनभर तपो परोपकार में,
फिर धीरे-धीरे ढल जाओ।
ख़ुद को डुबोकर अन्धकार में,
जग को नींद सुहानी दे जाओ।
रिटायरमेंट ढलते सूरज सा,
तुम सब यूँ ही नहीं भुला देना,
यदा कदा निकाल समय को,
हमें याद अवश्य कर लेना।
यही प्रयास रहा हमेशा,
जो अन्तर्मन में भाव प्रेम का,
उसको यहीं लुटा जाऊँ।
हँस बोल कर संग सभी के,
कुछ तनाव कम कर पाऊँ।
साथी जो भी मिले सफ़र में,
सब एक से बढ़कर एक मिले।
कुछ से मन की कह पाया,
कुछ से केवल बस हाथ मिले।
काम समझ ना आया कभी तो,
तो बड़े प्रेम से समझाया।
बड़े भाई सा मान दिया और,
मुशीबत में हाथ बँटाया।
कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ,
हाथ जोड़ कर नमन उन्हें।
रहें सुखी वो सदा सर्वदा,
सदा मिले सम्मान उन्हें।
सभी मुसाफ़िर पथ एक है,
सबका स्टेशन आएगा।
प्लेटफार्म पर उतर प्रेम से,
हर कोई अपने घर जाएगा।
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